Pakistan’s entry in Iran Israel war ईरान के साथ पाकिस्तान कि नजदीकी से नाराज हैं अमेरिका।

Iran को लेकर आए दिन कुछ न कुछ खबरे आती रहती हैं क्युकी Iran इस समय इजराइल के साथ युद्ध कि विभीषिका में जल रहा है और सम्पूर्ण विश्व इस युद्ध का असर झेल रहा है।

क्या है पूरा मामला?

वही अंतर्राष्ट्रीय संबंधों कि बात करे तो एक तरफ दो देश कभी दोस्ती के रिश्ते में बड़े होते हैं तो कभी उनके बीच मन मुटाव कि झलक नजर आती है कुछ ऐसा ही इन दिनों Iran और पाकिस्तान के बीच भी नजर आ रहा है दरअसल साल 2024 की शुरुआत में Iran और पाकिस्तान ने कथित तौर पर एक दूसरे देशों में मौजूद आतंकवादी संगठनों पर हमला किया था।

इस हमले के बाद दोनों देशों के मध्य तनाव की स्थिति पैदा हो गई हालांकि हमले के बाद दोनों देशों ने कूटनीतिक स्तर पर बातचीत से संघर्ष को खत्म करने की बात कही। बदलते राजनीतिक समीकरण के बीच बीते दिनों Iran के राष्ट्रपति इब्राहिम पाकिस्तान पहुंचे ,दोनों देशों में आई नाराजगी के बाद या पहला मौका है जब Iran के राष्ट्रपति ने पाकिस्तान की धरती पर कदम रखे हैं कि आखिरकार पाकिस्तान के दौरे पर क्यों पहुंचे ईरान के राष्ट्रपति क्या ईरान-पाकिस्तान विवाद समाप्त हो गया है? यह एक बड़ा सवाल है।

एशिया महाद्वीप के पश्चिमी कोने में कई दिनों के कलह के बाद अब शांति की शुरुआत हुई है दरअसल इस क्षेत्र में बसे Iran और पाकिस्तान आपस में करीब 900 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं सब दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और आर्थिक संबंध विकसित हुए हैं लेकिन बीते कुछ समय से दोनों देशों के संबंधों में कलह नजर आई।

Iran और पाकिस्तान अपने रिश्ते को नया रूप दे रहे हैं इसी साल जनवरी में Iran ने पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में ड्रोन हमला कर दावा किया था कि उसने वहां चरमपंथी समूह दास को निशाना बनाया है तो दूसरी तरफ पाकिस्तान ने जवाबी कार्यवाही करते हुए ईरान के स्थान और बलूचिस्तान प्रांत में कार्यवाही की और दावा किया कि उसने वहां आतंकवादियों के ठिकाने को निशाना बनाया आपसी तनातनी को खत्म कर पाकिस्तान पहुंचकर Iran के राष्ट्रपति ने संकेत दिया है।

अंतरराष्ट्रीय जानकारी की माने तो ईरानी राष्ट्रपति के दौरे का एजेंडा दोनों देशों के बीच उत्पन्न हुए विवाद को खत्म कर विपक्षीय संबंधों को प्राथमिकता देना है समीकरण के बीच Iran और पाकिस्तान के संबंध पर नजर डालें तो मालूम होता है कि शुरुआती दौर में यह दोनों देश एक दूसरे के साथ खड़े नजर आते थे भारत पाक बंटवारे के बाद Iran-पाकिस्तान को मान्यता देने वाला पहला देश था ईरान में ही पाकिस्तान ने अपना पहला दूतावास खोला था।

शीत युद्ध के समय भी दोनों देश एक दूसरे का सहयोग करते रहे और एक ही भू राजनीतिक लड़ाई का हिस्सा है इसके अलावा ईरान ने वर्ष 1965 तथा वर्ष 1971 में भारत के विरुद्ध युद्ध के दौरान पाकिस्तान को सामग्री वह हथियार सहायता प्रदान की। हालांकि साल 1979 के बाद ईरान में इस्लामी क्रांति के कारण अयातुल्लाह के नेतृत्व में रूढ़िवादी सिया शासन का उदय हुआ यह सैनिक तानाशाह जनरल जिया उल हक के तहत पाकिस्तान के स्वयं के इस्लामी कारण के साथ समवर्ती था।

क्योंकि ईरान ने इस्लामाबाद में अमेरिका को आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में समर्थन दिया Iran ने की वर्ष 1979 के बाद की विदेश नीति जो क्रांति के पर केंद्रित थी उसने अब दुनिया में उसके पड़ोसियों को हतोत्साहित कर दिया हालांकि इतिहास की कहानी को पीछे छोड़ दोनों देश दोस्ती संबंधों को सुधारने के पीछे दोनों देश अपना हित साधने में जुटे हैं।

इसलिए इब्राहिम रहीम ने अपने पहले विदेशी दौरे के लिए पाकिस्तान को चुना है वही इजरायल ईरान युद्ध पर अपनी राह जाहिर करते हुए पाकिस्तान ने इजरायल द्वारा किए गए हमले को गैर जिम्मेदारना बताया है। Iran पाकिस्तान से समर्थन की उम्मीद रहा है हलांकि ईरान पकिस्तान नजदीकी से अमेरिका न खुश नज़र आ रहा है।

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