Another case of loksabha election 2024 सूरत कि तरह इंदौर में भी चुनावी पर्चे रद्द हुए चुनाव आयोग से जांच कि मांग।

loksabha election 2024 के पहले चरण के बाद अब राजनैतिक पार्टियां दूसरे चरण कि तैयारी में लगे हुए है, जहां पहले चरण में सूरत में कई कांग्रेसी उम्मीदवार का पर्चा रद्द हो गया था तो वही अब इंदौर से भी वही खबर आ रही है।

क्या है पूरा मामला ?

loksabha election 2024 का चुनाव अब वाकई डराने लगा है सूरत का इंदौर हो गया इंदौर और सूरत में जो भी हुआ अगर आप उसे उम्मीदवार की लूट नहीं कहते हैं ,चुनाव की लूट नहीं कहते हैं तो लोकतंत्र और चुनाव की समझ पर अपने धर्म की पट्टी चढ़ा ली है ,आप जानते सब हैं मगर नहीं जानने की नौटंकी कर रहे हैं आपसे बेहतर तो वह लोग थे जो इस देश की आजादी और लोकतंत्र के लिए अपना सब कुछ दाव पर लगा दे और आप हैं कि धर्म के नाम पर नहीं जानने की नौटंकी कर रहे हैं।

loksabha election 2024 इंदौर में आज जो भी हुआ अगर उससे वहां के 27 लाख वोटरों को ठेस नहीं पहुंचती है तो इसका मतलब है कि लोकतंत्र नाम का विचार भी उनके बीच से खत्म होता जा रहा है, विधानसभा के बाद इंदौर में 40000 से ज्यादा नए नाम मतदाता सूची में जोड़े गए इनमें से ज्यादातर ऐसे युवा है जो पहली बार मतदान करेंगे उनके सामने भी दो राष्ट्रीय पार्टियों में से एक के चुने का विकल्प समाप्त हो गया है।

सूरत से कांग्रेस का उम्मीदवार और उसका प्रस्तावक उम्मीदवारी रद्द होने के बाद गायब हो गया लेकिन इंदौर में खुलेआम वापसी होनी थी 23 उम्मीदवारों ने पर्चे भरे कांग्रेस सहित आठ उम्मीदवारों ने नाम वापस ले लिया अब भी 14 उम्मीदवार मैदान में है मगर एक राष्ट्रीय पार्टी का उम्मीदवार मैदान में नहीं इंदौर के 27 लाख मतदाताओं से उनका विकल्प छीन लिया गया क्या कांग्रेस के उम्मीदवार को किसी और तरीके से पीछे कराया गया है?

loksabha election 2024 में चुनाव आयोग को भी देखना चाहिए कि यह मामला उम्मीदवार को भयभीत करने से तो नहीं जुड़ा है अगर उम्मीदवार अपना पर्चा वापस लेकर भाजपा के नेताओं के साथ बीजेपी में शामिल हो जाए तो क्या यह प्रलोभन का मामला नहीं बनता है,अगर इसी तरह उम्मीदवारों ने अपना नाम वापस लेना शुरू कर दिया तब इस चुनाव का क्या मतलब रह जाएगा।

इंदौर के निर्वाचन अधिकारी के बयान से तो सब कुछ सामान्य लगता है मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा है कि किसी को भयभीत किया जा रहा है फील्ड के अधिकारी इस पर नजर रखेंगे जाहिर है इसमें मतदाता से लेकर उम्मीदवार तक की सुरक्षा और निर्भीकता शामिल है और इस बार उनको हमने तय किया है कि उनके नेतृत्व में अक्षय क्रांति का बीजेपी में स्वागत है मतलब अब छुपाने की भी जरूरत नहीं किस खेल से प्रधानमंत्री अनजान है।

खजुराहो में चुनाव दिखावे का रह जाएगा सूरत और खजुराहो में फर्क यही है की सूरत में नतीजे घोषित हो चुके हैं खजुराहो में मतदान की औपचारिकता बाकी सवाल है कि क्या यह एक तरफ से डकैती नहीं है अगर इसी तरह से उम्मीदवार पर्चा वापस लेकर बीजेपी में जाते रहे तो क्या बन जाएगा फिर तो चुनाव का कोई मतलब ही नहीं रह जाएगा

loksabha election 2024 इंदौर को नागपुर के बाद दूसरा मुख्यालय कहा जाता है यहां से लगातार आठ बार सुमित्रा महाजन जीतती रही है 2019 में उनका टिकट कट गया और बीजेपी ने शंकर लालवानी को टिकट दिया शंकर लालवानी 5 लाख अधिक वोटो से जीते , जिस शहर में बीजेपी को इतने वोट मिलते हैं वहां बीजेपी ने यह तरीका अपनाया है या कहीं से सामान्य प्रक्रिया नहीं इंदौर की जनता इतनी मासूम भी नहीं अगर वह इस खेल में शामिल है और मूकदर्शक है तो अफसोस की बात क्या बीजेपी इसकी जांच कर रही है कि जनता उसकी इन हरकतों को कहां तक बर्दाश्त करती है।

सूरत के 18 लाख मतदाताओं को तो वोट देने का मौका ही नहीं मिलेगा, सूरत में लोग चुप हो गए इंदौर के लोग भी चुप रह जाएंगे क्या एक तरफ परीक्षण चल रहा है कि अगर चुनाव नहीं होंगे तो जनता में किस तरह की प्रतिक्रिया होगी यह तस्वीर इंदौर के 27 लाख वोटरों का मजाक उड़ा रही है।

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