A new avatar of Ajay Devgan in Bollywood/अजय देवगन कि “मैदान” सच्ची घटना पर आधारित, देख कर खौल गया भारतीयों का खून।

Bollywood में हालिया सालो बहुत सारे नए हिरो हिरोइन कि एंट्री हुई है लेकिन Bollywood के कुछ पुराने सितारे ऐसे में भी है जो आज भी बड़े पर्दे पर राज़ करते हैं और दर्शक उनके कामों से आज भी उतना ही रोमांचित महसूस करते है। Bollywood के बड़े पर्दे कि खासियत ही यही है कि पर्दों पर ऐसे किरदार को उतारा जाता है जो एक तरह से अपनें किरदार में जान डाल देते हैं, अजय देवगन कि हालिया रिलीज हुई देशभक्ति कि मूवी मैदान में अजय देवगन के अभिनय को देख कर दर्शक अपने आंसू रोक नहीं पाए, सच्ची घटना पर आधारित फिल्म मैदान में अजय देवगन के अभिनय ने एक बार फिर सबका दिल जीत लिया।

सच्ची घटना पर आधारित है फिल्म मैदान।

Bollywood स्टार अजय देवगन की मैदान जिसका निर्देशन किया है अमित रविंद्र नाथ शर्मा ने , इस फिल्म को देखने के बाद दर्शको के आंखों में आंसू आ गए, कहानी में जहां फुटबॉल फाइनल से ठीक पहले अजय देवगन अपने खिलाड़ियों से कहते हैं खेलना ग्यारह बन कर लड़ना एक बनकर इस डायलाग ने फिल्म कि लाइम लाइट बटोर ली।

ओलंपिक एशियन गेम्स में भारत को 1951 और 1962 इन दोनों ही एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल मिला था ,और वह सैयद अब्दुल रहीम की वजह से मिला था। इस फिल्म को भारत के इतिहास में खेल जगत पर आधारित किया गया है। खेल पर कई फिल्में रही है मसलन अगर आप दिलीप कुमार साहब की नया दौर देखे, आमिर खान की लगान देखें ,शाहरुख खान की चक दे इंडिया देखें ,आमिर खान की “जो जीता वही सिकंदर देखें” या फिर रणवीर सिंह की 83 ,और सुशांत राजपूत की एम एस धोनी देखें, ज्यादातर फिल्में सत्य घटनाओं पर आधारित हैं।

Bollywood स्टार अजय देवगन ने मैदान फिल्म में सैय्यद अब्दुल रहीम का किरदार निभाया है। सय्यद अब्दुल रहीम के मन में जुनून था भारत को फुटबॉल में सुपर पावर बनाने का लेकिन वो शिकार हो जाते है फुटबॉल फेडरेशन ऑफ़ इंडिया की पॉलिटिक्स का।

बात करे किरदार कि तो वह भारत का फुटबॉल प्रचम ऊंचा लहराना चाहता है मगर जिस तरह की राजनीति फुटबॉल फेडरेशन ऑफ इंडिया में हो रही होती है, उसके चलते वह कुछ कर नहीं पाता है फिर उसे बुरी खबर मिलती है कि उसके पास ज्यादा वक्त नहीं है और फिर वह पहुंचता है फुटबॉल फेडरेशन ऑफ इंडिया के सामने एक मौका मांगने के लिए और,1962 का एशियन गेम्स में उसे मौका मिल जाता है।

कहानी एक आदमी के संघर्ष की है और इस किरदार को अजय देवगन ने निभाया है,पहले कई मार्मिक भूमिका की है कई इमोशनल किरदार निभा चुके हैं , मगर मैदान में तो उन्हें वाकई मैदान मार लिया। इस पूरी फिल्म में अजय देवगन ने कभी भी अपनी आवाज को ऊंचा नहीं किया मगर मैदान ने सभी फिल्मों को पीछे छोड़ दिया है।

मैदान उन सभी फिल्मों में सबसे महान फिल्म है क्योंकी सत्य घटना पर आधारित है,भारत फुटबॉल का सुपर पावर हो सकता था ,मगर पॉलिटिक्स के चलते भारत वह मुकाम हासिल नहीं रह सका।

1983 इंडिया में क्रिकेट का वर्ल्ड कप जीता और उसके बाद हम क्रिकेट के सुपर पावर बन गए इस तरह की उम्मीद हमें फुटबॉल में करनी चाहिए थी, मगर ऐसा हुआ नहीं ऐसे लम्हे हैं जो आपके दिल को छू लेते हैं 3 घंटे की फिल्म को नेशनल अवार्ड मिलना चाहिए दर्शको का मानना है।

इस फिल्म में खेल जगत में हो रहे पॉलिटिक्स को बहुत बखूबी दिखाया गया है और देख कर दर्शको का खून खौल जाता है और क्योंकि अगर उस वक्त की सरकारों ने उस वक्त की फुटबॉल फेडरेशन ऑफ इंडिया ने भारतीय फुटबॉल टीम को सहारा होता तो आज इंडिया फुटबॉल में कम से कम टॉप थ्री टीम्स में होता, लेकिन इस किरदार में अजय देवगन ने मैदान मार लिया।

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