A major discovery in space/ वैज्ञानिकों चांद पर फटे ज्वालामुखी कि खोज की

Space के रहस्यों को जानने के लिए वैज्ञानिक नए नए चीजों कि खोज में रहते हैं लेकिन आज हम space और space में मौजूद ग्रह के बारे बहुत कुछ जानते हैं और बहुत कुछ जानना बाकी है। लेकिन हालिया खबर के मुताबिक़ बृहस्पति यानि जुपिटर के चंद्रमा आयु पर नासा से भेजे गए जूनो space यान ने वहां से कुछ फोटो भेजी है जिसमें जूनो को वहां पहाड़ लावा ,ज्वालामुखी और इन दोनों के बीच एक द्वीप दिखा है

आपको बता दे की जुपिटर की प्राकृतिक सैटेलाइट ज्वालामुखी फटने के लिए जाना जाता है और उसके आकार के बारे में बात करें तो यह जुपिटर का तीसरा सबसे बड़ा चांद आयु माना जाता है इसका व्यास 3128 किलोमीटर है जो कि पृथ्वी के चांद से थोड़ा ही बड़ा है यह जुपिटर से चार लाख 21700 किलोमीटर की दूरी पर परिक्रमा करता है।

इसकी खोज 1610 में इटालियन खगोल शास्त्री गैलीलियो ने की थी उन्होंने इस दूरबीन से देखा था, जब वह जुपिटर का अध्ययन कर रहे थे। इसकी सतह के बारे में बात करे तो नासा का कहना है कि इसकी सतह ज्वालामुखी गतिविधि से ढकी हुई है यहां लगातार ज्वालामुखी फटते रहते हैं।

जिससे गर्म लावा और राख का विशाल बादल बनता है जिससे अधिक गर्मी पैदा होती है जिसके कारण उसके ऊपरी परत का अधिकांश भाग द्रव्यभूत हो जाता है , तापमान की बात करी जाए तो दिन के समय में यह 1470 डिग्री सेल्सियस तक गर्म तापमान हो सकता है।

जो की पिघले हुए शीशे से भी ज्यादा गर्म होता है और रात में इसका तापमान – 143 डिग्री सेल्सियस तक गिर सकता है, अब बात करें की आयु का कोड पिघले हुए लोहे से बना है जिसके चारों ओर सिलिकेट खनिजों का एक आवरण होता है यह अपनी ज्वालामुखी गतिविधि के कारण जुपिटर के शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र के साथ अपना खुद का एक छोटा चुंबकीय क्षेत्र बनाता है।

इसके साथ ज्वालामुखी क्रिएटर लावा प्रभाव और प्लास्टिक से ढकी हुई है वैज्ञानिकों ने इस पर पानी मौजूद होने का भी जिक्र किया है, साल 2019 में नासा के दोनों space यान ने ध्रुवीय क्षेत्र में बर्फ के टुकडे देखे थे जो पहाड़ के नीचे छुपे हुए जलाशयों से निकलकर वाष्पित हो जाते हैं।

और फिर ठंडे तापमान में जम जाते हैं साथ ही वैज्ञानिकों का मानना है की आयु में ज्वालामुखी फोटो से निकलने वाले गैस में भारी मात्रा में जलवाष्प होता है वैज्ञानिकों के मुताबिक इस पर उपस्थित पानी तरल रूप में ही पाया जाता है जो तापमान के कम होने पर बर्फ बन जाता है और बढ़ते तापमान के कारण भाप बन जाता है आयु पर पानी की खोज वैज्ञानिकों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

कि हमारे सौर्य मंडल में पानी कई जगहों पर मौजूद हो सकता है यहां जीवन यापन करने की संभावना हो सकती है अगर आयोग की आयु के बारे में बात करें तो यह जुपिटर के सबसे बड़े चंद्रमा में से एक है जो गुरुत्वाकर्षण बल का अनुभव कर रहा है जो इसकी सतह को लगातार खींच रहा है यह ज्वालामुखी विस्फोट और भूकंप जैसी समस्याएं पैदा कर रहा है यह प्रक्रिया इसके सात को धीरे-धीरे गर्व कर रही है।

और अनुमान लगाया जा रहा है कि करीब 100 मिलियन वर्षों में यह पूरी तरह पिघल जाएगा आपको बता दे कि इसकी खोज 1995 से 2003 तक गैलीलियो अंतरिक्ष यान से हुई और इस अध्यादेश की सतह वायुमंडल और चुंबकीय क्षेत्र की पुष्टि हुई उसके बाद 5 अगस्त 2011 को पहली बार 5 साल के लिए जूनो अंतरिक्ष या जुपिटर पर परीक्षण के लिए भेजा गया था वर्तमान में भी जूनो जुपिटर की परिक्रमा कर रहा है जो वैज्ञानिकों को इस ज्वालामुखी चंद्रमा के बारे में और अधिक जानकारी एकत्रित करने में

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