दुनिया के सबसे बड़े हिमखंड ने जलवायु परिवर्तन के कारण तैरना शुरू कर दिया है, ए23ए हिमखंड समाप्ति के कगार पर है वैज्ञानिकों कि बढ़ी चिंता !

जलवायु परिवर्तन को लेकर अमेरिका के शोधकर्ता ने अटलांटिक महासागर के हिमखंड ए 23 ए पर अपनी रिपोर्ट जारी की है रिपोर्ट में पाया गया है कि दुनिया का सबसे बड़ा हिमखंड अब तैर रहा है, हलांकि वैज्ञानिकों के अनुसार इसका प्रत्यक्ष संबंध जलवायु परिवर्तन से नही है, लेकिन दुनिया के लिए यह एक चिंता का विषय है।

क्या है पूरी ख़बर ?

दुनिया का सबसे बड़ा हिमखंड सफर पर निकल पड़ा है इसके आकार की गंभीरता का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि यह ग्रेटर लंदन के आकार से दो गुने से भी बड़ा है , हालांकि हिमखंड का आकार हर दिन जलवायु परिवर्तन के कारण घट रहा है।

पर यह अभी 3800 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है यह क्षेत्रफल के लिहाज से बहरीन और सिंगापुर जैसे 29 देश से भी बड़ा है इसे ए 23 ए के नाम से भी जाना जाता है साल 1986 में यह अंटार्कटिका के तट से टूटकर अलग हो गया था।

वक्त के साथ-साथ यह पिघल भी रहा था और साल 2020 हिमखंड के तैरने का रास्ता खुल गया और यह एक बार फिर से गतिशील हो गया ए 23 ए अब ऐसे रास्ते पर आगे बढ़ रहा है जहां से होकर अंटार्कटिका के बहते हुए बर्फ का ज्यादातर हिस्सा गुजरता है ,लेकिन अब इसका अस्तित्व खत्म होने जा रहा है और वह भी कुछ ही महीनों के अंदर ही।

दुनिया का सबसे बड़ा हिमखंड।

ए 23 ए हिमखंड का साइज पूरी तरह से मापना आसान नहीं है ,जब यूरोपीय स्पेस एजेंसी के वैज्ञानिकों ने इस हिमखंड को मापना चाहा तो इसकी ऊंचाई 920 फीट निकली , जो दिल्ली के कुतुब मीनार की ऊंचाई से चार गुना ज्यादा है।

क्या है चिन्ता का विषय?

पिघला हुआ पानी हिमखंड के ऊपर तैरना शुरू होगा, और फिर वह दरारों के जरिए उसके अंदर दाखिल हो जाएगा हो सकता है कि इस वर्ष के अंत तक पूरी तरह से पिघल जाए ,लेकिन ए 23 ए अपने पीछे एक विरासत छोड़कर जाएगा सभी बड़े हिमखंडो की तरह इसके पिघलने से खनिज धूल बिखर जाएगी।

खुले समुद्र में यह धूल उन जीवों के लिए पोषक तत्वों का एक स्रोत है जो समुद्री फूड चैन का आधार बनते हैं समुद्र के कई बड़े जीवो को हिमखंड के पूरी तरह से पिघलने का लाभ होगा।

जब भी लोग ऐसे बड़े हिमखंडों के बारे में सुनते हैं तो उन्हें लगता है कि यह सब जलवायु परिवर्तन के कारण हो रहा है लेकिन सच्चाई और भी है अंटार्कटिका के जिस हिस्से से ए 23 ए आया है, वहां अब भी काफी ठंड है !

हालांकि महाद्वीप के अन्य हिस्सों में देखा गया है कि गर्म पानी के कारण पूरी की पूरी शेल्फ धराशाही हो गई है और इस कारण से कई हिमखंड अस्तित्व में आ गए हैं वैज्ञानिक पैटर्न में किसी भी बदलाव को समझने की कोशिश करने के लिए नजर रख रहे हैं !

हिम खंड के टूटने कि प्रक्रिया प्रक्रिया को समझने के लिए शोधकर्ताओं ने हाल में समुद्र की तह में जाकर ड्रिलिंग की है इस तरह से शोध कर्ताओं को नई जानकारियां मिली है ,वैज्ञानिकों ने इस प्रक्रिया के जरिए इस घटनाओं का एक खाका खींचा है उनका अनुमान है कि 12 लाख वर्ष पहले इस क्षेत्र में बहुत सारी बर्फ की चट्टानें से चिपक गई थी , इसलिए जलवायु परिवर्तन के साथ साथ कुछ प्राकृतिक हालात भी हिम खंड के टूटने के जिम्मेदार है।

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