Iran israel war is not new ईरान इजराइल युद्ध कि जड़े बहुत पुरानी है, जानिए असली वजह…..?

Iran Israel war में आए दिन नई नई दिक्कते आ रही है, Iran israel war युद्ध में धीरे धीरे अन्य देश भी जुड़ते जा रहे हैं, जहां अमेरिका ने इजराइल को अपना समर्थन दिया था तो वही ईरान को रूस का समर्थन मिला है और iran israel war एक नया मोड़ लेता जा रहा है, लेकिन आपको बता दें कि ईरान इजराइल युद्ध नया नही है,iran israel war कि जड़े बहुत पुरानी है।

ईरान इजराइल युद्ध कि ऐतिहासिक जड़े?

परिवर्तन संसार का नियम है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी राजनीतिक समीकरण में तेजी से बदलाव देखने को मिलते हैं कभी एक दूसरे के दोस्त कहलाने वाले देशों के बीच भी दुश्मनी के बीच पक जाते हैं ,वैश्विक भू राजनीति भी इन दिनों है इन दिनों विश्व के अलग-अलग क्षेत्र युद्ध की विशेषता कि कड़ी में इजरायल और ईरान के बीच जंग की स्थिति नजर आई।

दरअसल बीते दिनों सीरिया की राजधानी पर हमला हुआ जिसमें कई लोगों की मृत्यु हुई ईरान ने हमले के पीछे इजराइल को दोषी ठहराया है वहीं दूसरी तरफ ईरान के आरोप और हमले पर कुछ दिनों तक इजराइल में छुट्टी रखी हालांकि उसके बाद इजरायल ने भी बदले की कार्यवाही की अब ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि आखिरकार इजराइल ईरान के बीच युद्ध की स्थिति क्यों उत्पन्न हुई।

दूसरी तरफ ईरान और इजराइल के संबंधों का इतिहास कैसा रहा है साथ ही इजराइल ईरान संघर्ष में जॉर्डन की क्या भूमिका है यह एक बड़ा सवाल है ईरान, एशिया के दक्षिण पश्चिम में स्थित मध्य पूर्व का दूसरा सबसे बड़ा और दुनिया का 18वां सबसे बड़ा देश है ईरान की कई देशों के साथ जमीनी और समुद्री सीमाएं हैं जो 300 मिलियन से अधिक के आकर्षण संभावित बाजार तक आसान पहुंच प्रदान करती है।

ईरान रणनीतिक रूप से यूरोप एशिया और मध्य पूर्व के बीच प्रमुख व्यापार मार्गों के चौराहे पर स्थित है उपभोक्ता आधार और बाजारों तक पहुंच प्रदान करता है यह ईरान को उन व्यवसायों के लिए एक आकर्षक गंतव्य बनता है जो अपनी पहुंच का विस्तार करना चाहते हैं और नए बाजारों तक पहुंच बनाना चाहते हैं जो भूमध्य सागर के दक्षिण पूर्वी तट पर यूरोप एशिया और अफ्रीका के जंक्शन पर स्थित है।

इसकी सीमा उत्तर में लेबनान उत्तर पूर्व में सीरिया और पूर्व में जॉर्डन दक्षिण पश्चिम में मिश्र और पश्चिम में भूमध्य सागर से लगती है भौगोलिक परिदृश्य से निकलकर राजनीतिक समीकरण पर नजर डालें तो मौजूदा समय में इजराइल संयुक्त आग में झुलस रहा है। इजराइल और ईरान के संबंधों पर नजर डालें तो दोनों देशों के बीच कभी रिश्ते सौहार्दपूर्ण थे।

जब ज्यादातर अरब देश उसके खिलाफ थे साल 1948 में इजरायल की स्थापना के बाद उसे मान्यता देने वाला ईरान दूसरा मुस्लिम बहुत देश था ,ईरान उसे विशेष संयुक्त राष्ट्र समिति के 11 सदस्यों में से एक था जिसे 1947 में क्षेत्र पर ब्रिटिश नियंत्रण समाप्त होने के बाद फिलिस्तीन के लिए समाधान तैयार करने के लिए गठित किया गया था संयुक्त राष्ट्र की विभाजन योजना के खिलाफ मतदान करने वाले 13 देश में से एक था साल 1947 से साल 1979 तक दोनों देशों के बीच दोस्ती हुआ करती थी।

वही ईरानी क्रांति के बाद दोस्ती से दुश्मनी हो गई और 1991 में खाड़ी युद्ध की समाप्ति के बाद से खुली शत्रुता का दौर जारी है,साल 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद ईरान ने इजरायल के साथ सभी राजनीतिक और वाणिज्यिक संबंध तोड़ दिए साल 1985 से ईरान और इजरायल के बीच एक शैडो वार चल रहा है इसमें ईरानी और आरोप प्रत्यारोप की एक बड़ी कड़ी सामने आती है जहां एक तरफ इजराइल पर अमेरिका की मदद से ईरान पर हमले करने की बात सामने आती है।

तो दूसरी तरफ ईरान पर हमास को पोषित करने के आरोप लगाते हैं राजनीतिक उठा पटक के बीच इजरायल ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर अपनी पहली नजर बनाए हुए हैं या हालातो को देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि ईरानी परमाणु कार्यक्रम को रोकना और उसकी परमाणु हथियार संपन्न होने से रोकना ही इजराइल का लक्ष्य है।

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